छत्तीसगढ़, पर्यावरण व जनस्वास्थ्य
(राजनांदगांव जिला छ.ग. के विशेष संदर्भ में )
(श्रीमती) निवेदिता लाल1, डाॅ. चैतन्य नन्द2
1सहायक प्राध्यापक (भूगोल) शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव (छ.ग.)।
2सहायक प्राध्यापक (भूगोल) शासकीय जाज्वल्यदेव नवीन कन्या महाविद्यालय, जांजगीर (छ.ग)
प्रस्तावनाः-
किसी भी क्षेत्र के समग्र विकास में उसकी जनसंख्या, पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य तीनों की पर्याप्त वांछनीयता अनिवार्य है। चूंकि ये तीनों कारक परस्पर अन्र्तसंबंधित है अतः यह समावेशित रूप में अध्ययन की मांग करता है फलस्वरूप प्रस्तुत अध्ययन क्षेत्र ”राजनांदगांव जिला ˝ की इन विशेषताओं एवं समस्याओं का अवलोकन एवं अनुसंधान प्रासंगिक एवं अपरिहार्य हो जाता है । यह शोध पत्र उन्हीं पहलुओं पर केन्द्रित है ।
अध्ययन क्षेत्रः-
छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी पूर्वी भाग में राजनांदगांव जिला स्थित है । जिसका अक्षांशीय विस्तार 19 57 उत्तर से 21 42 उत्तर एवं देशांतरीय विस्तार 81 30 पूर्व से 82 23 पूर्व है । कुल क्षेत्रफल 8022.55 वर्ग किलोमीटर है जो कि छ.ग. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 5.93 प्रतिशत है । इसके अन्तर्गत 9 तहसीलें- छुईखदान,खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, छुरिया, डोगरगांव, अम्बागढ़ चैकी,मोहला एवं मानपुर अवस्थित है । भौगोलिक दृष्टि से यह जिला शिवनाथ नदी के अधिग्रहण क्षेत्र में आता है । समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 330.70 है तथा औसत वार्षिक वर्षा 934.9 मि.मी. है ।
आंकड़े एवं विधितंत्रः-
अध्ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित है । प्राथमिक आंकड़ों का सृजन व्यक्तिगत ग्राम सर्वेक्षण पर आधारित है जबकि द्वितीयक आंकड़ों का संकलन जिला योजना एवं सांख्यिकीय कार्यालय राजनांदगांव से लिया गया है ।
अध्ययन का उद्देश्यः-
प्रस्तुत शोध प्रपत्र का मुख्य उद्देश्य राजनांदगांव जिला की वर्तमान जनसंख्या, पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य का अध्ययन करना है । चूंकि जनसंख्या पर्यावरण से प्रभावित होता है और पर्यावरण पर जनसंख्या का प्रभाव परिलक्षित होता है साथ ही जनस्वास्थ्य भी पर्यावरण एवं जनसंख्या से ही संबंध रखता है अतः तीनांे का सामयिक परिवेश में संयुक्त अध्ययन करना पहलूगत समग्रता के लिये आवश्यक है । जिले में बढ़ती जनसंख्या एवं बिगड़ता पर्यावरण फलस्वरूप जनस्वास्थ्य पर कुप्रभाव का अभिज्ञान करना इस अध्ययन का उद्देश्य है ।
जनसंख्याः-
2011 के अनुसार राजनांदगांव जिले के कुल जनसंख्या 1537133 है जिसमें 1264621 व्यक्ति ग्रामीण तथा 272512 व्यक्ति नगरीय है अर्थात 82.27 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण तथा 17.73 प्रतिशत जनसंख्या नगरीय है । कुल जनसंख्या में 762855 पुरूष एवं 774278 स्त्रियां है । यहां लिंगानुपात 1017ः1000 ह । जिले में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 156623 है जो जिले के कुल जनसंख्या का 10.18 प्रतिशत है । अनुसूचित जनजातियों का की जनसंख्या 405194 है जो कि कुल जनसंख्या का 26.36 प्रतिशत है । अध्ययन क्षेत्र की कुल जनसंख्या में इन दोनों की संयुक्त जनसंख्या का प्रतिशत 36.54 है । स्पष्ट है कि जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की बहुलता पायी जाती है।
जिले में सभी तहसीलों की जनसंख्या की मात्रा भिन्न-भिन्न है । सर्वाधिक जनसंख्या राजनांदगांव तहसील की है जहां कुल जनसंख्या 363352 है जिसमें पुरूषों की संख्या 182141 एवं स्त्रियों की संख्या 181211 है । इसके बाद डोंगरगढ़ तहसील का स्थान आता है । यहां की कुल जनसंख्या 208117 जिसमें पुरूषों की संख्या 103321 एवं स्त्रियों की संख्या 104796 है । इसी प्रकार खैरागढ़, छुरिया, छुईखदान, डोगरगांव, अंबागढ़चैकी, मानपुर एवं मोहला का स्थान इनके बाद आता है।
राजनांदगांव तहसील की जनसंख्या जिले की कुल जनसंख्या का 23.65 प्रतिशत है । यह लगभग एक चैथाई के निकट है। इसी परिपेक्ष्य में डोंगरगढ़ 13.53 प्रतिशत, खैरागढ़ 12.50 प्रतिशत, छुरिया 11.61 प्रतिशत, छुईखदान 11.47 प्रतिशत, डोंगरगांव 8.77 प्रतिशत अम्बागढ़चैकी 7.04 प्रतिशत, मानपुर 5.77 प्रतिशत एवं मोहला में 5.66 प्रतिशत जनसंख्या अंश समाहित है।
नगरीकरण के मामले में राजनांदगांव तहसील अग्रणी है यहां की 44.89 प्रतिशत जनसंख्या नगरीय है । इसके बाद डोंगरगढ़ तहसील 17.95 प्रतिशत, खैरागढ़ तहसील 11.73 प्रतिशत एवं छुईखदान तहसील 11.55 प्रतिशत नगरीकृत है। राजनांदगांव तहसील में नगरीकरण के कारण औद्योगीकरण के कारण औद्योगिक इकाई, शैक्षणिक संस्थाऐं (टेक्नीकल एवं मेडिकल) स्वास्थ्य सेवाऐं, प्रशासनिक संस्था है । डोंगरगढ़ धार्मिैक नगरी के नाम से जानी जाती है । शेष सभी तहसीलें अपेक्षाकृत कम नगरीकृत है । मानपुर तहसील व मोहला तहसील नगरीकृत नहीं हैं ।
लिंगानुपात और साक्षरता की दृष्टि से भी प्रत्येक तहसीलों में विभिन्नता पायी जाती है । राजनांदगांव जिले में लिंगानुपात 1000:1017है जो लिंगानुपात को धनात्मक रूप में प्रस्तुत करती है । जिले की प्रायः सभी तहसीलों में लिंगानुपात धनात्मक है । अम्बागढ़ चैकी 1067,मोहला 1042, डोंगरगढ़ 1025, खैरागढ़ 1024,डोंगरगांव , छुईखदान 1022 तथा छुरिया 1004 स्त्रियां प्रति पुूरूषों के अनुपात में पायी गई हैं । बढ़ता लिंगानुपात अनुसूचित जनजाति बहुल तहसीलों मे पाया जाता है । जनजातियों एवं स्त्री- पुरूष में भेद नहीं किया जाता है ।
साक्षरता के मामले में डोगरगांव एवं राजनांदगांव तहसील सर्वोपरि है जहां साक्षरता 80 प्रतिशत पायी जाती है । अम्बागढ़ चैकी, मोहला,मानपुर,खैरागढ़ में साक्षरता 75प्रतिशत से ऊपर है । जिले में साक्षरता का औसत 65 प्रतिशत है ।
जिले की कुल कार्यशील जनसंख्या का प्रतिशत 50 है । मोेहला, मानपुर, एवं अम्बागढ़चैकी की 55 प्रतिशत जनसंख्या का श्रमिक जनसंख्या का है । आधी जनसंख्या आश्रितों का है । नगरीय क्षेत्रों की 30 प्रतिशत जनसंख्या कर्मशील है । शहरी क्षे़त्रों में कम क्रियाशील जनसंख्या इस बात का संकेत है कि बेरोजगारी यहां अधिक है। इस प्रकार जिले की जनसांख्यिकीय विशेषताऐं प्रत्येक पहलू से विविधता सएवं विषमता प्रस्तुत करती है ।
पर्यावरणः-
राजनांदगांव जिला मैदानी क्षेत्र के अन्तर्गत आता है जनसंख्या वृद्धि के कारण संसाधनों पर दबाव एवं भार बढ़ रहा है । आधुनिकता का प्रभाव भी यहां दिखाई दे रहा है । औद्योगिकरण के कारण यह जिला अब आर्थिक प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है किन्तु जहां एक ओर कुछ लोग सुख-सुविधा से युक्त होते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर अधिकांश आबादी अभी अभावों से ग्रस्त है। शौचालय, पेयजल एवं ईंधन की सुविधाओं से विशाल आबादी परे है ।
जिले के समस्त तहसीलों में स्थित यादृच्छिक प्रणाली से 2-2 गांवों के चयन एवं सर्वेक्षण के पश्चात पर्यावरण एवं जनसंख्या से जुड़ी हुई समस्याऐं सामने आई । मानव मल-मूत्र, कूड़ा-कचरा, गंदी नाली, पशुजन्य समस्याऐं, ध्वनि प्रदूषण, आपसी विवाद, लड़ाई- झगड़ा जैसी समस्याऐं उजागर हुई । जब पर्यावरण सुरक्षा के उपायों पर पूछताछ की गई तो पेयजल व्यवस्था, शौचालय प्रबंध, जल निकासी की सुविधा, धुआंमुक्त चूल्हे की आवश्यकता, उर्वरकों एवं कीटनाषकों का प्रयोग बंद की पक्षधरता एवं वृक्षारोपण की प्रासगिकता जैसे विषयों पर उत्तरदाताओं ने अपने-अपने मत प्रकट किये ।
राजनांदगांव जिले में पर्यावरण प्रदूषण संबंधी समस्याऐं एवं ग्रसित जनसंख्या (प्रतिशत में)
जिले में 50 प्रतिशत उत्तरदाता गंदी नाली जनित समस्याओं से ग्रसित हैं। मानव मलमूत्र से 24 प्रतिशत,कूड़ा कचरा जन्य से 13प्रतिशत, पशुजन्य से 8.60 प्रतिशत, ध्वनि से 2 प्रतिशत एवं आपसी लड़ाई झगड़े से 2 प्रतिशत लगभग जनसंख्या प्रभावित है । नगर एवं गांवों में गंदी नाली, मानव मलमूत्र एवं कूड़ा कचरा प्रदूषण को प्रभावी बनाने का मूूल कारण है । बढ़ता हुआ प्रदूषण कई समस्याओं, बीमारियों और दुघर्टनाओं को जन्म देता है क्योंकि प्रदूषण स ेजल,वायु, भूमि तथा सम्पूर्ण जैविक सम्पदा प्रभावित होती है । प्रदूषण जैसी समस्या को प्राणप्रण से हटाने का प्रयास करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है ताकि मानव कल्याण की भावना चरितार्थ हो सके ।
अध्ययन क्षेत्र में व्यक्तिगत सर्वेक्षण के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि जिले में 43 प्रतिशत क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की व्यवस्थ को पर्यावरण प्रदूषण दूर करने का प्रमुख उपचार मानते हैं । 28.30 प्रतिशत उत्तरदाता शौचालय की व्यवस्था को, 19.70 प्रतिशत नालियों की सफाई को, 8 प्रतिशत वृक्षारोपण एवं 4.9 प्रतिशत कीटनाशक दवा बन्द होने को पर्यावरण सुरक्षा का प्रमुख कारण मानते हैं।
जनस्वास्थ्यः-
जिले की वह जनसंख्या जो शिक्षित व संभ्रान्त परिवार से हैॅ, स्वास्थ्य के मामले में जागरूक है। किन्तु अशिक्षित शहरी एवं गरीब जनसंख्यज्ञ, अनुसूचित जातियां एंव जनजातियां स्वास्थ्य के प्रति कम जागरूक हैं । जिले में सरकारी चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य सुविधा प्रदायक केन्दों की कमी है। जिला एवं तहसील मुख्यालय में निजी अस्पताल स्थित है । मलेरिया, तपेदिक, बुखार, मधुमेह यहां पायी जाने वाली सामान्य बीमारियां है ।
निजी अस्पतालों की बढ़ती संख्या एवं सरकारी अस्पतालों की घटती सुविधात्मक गुणवत्ता एक चिन्तनीय मुद्दा है । सरकारी अस्पतालों की संख्या एवं गुणवत्ता में सुधार लाना आवश्यक है जिससे सस्ती दवाईयां एवं स्वास्थ्य परामर्शों की व्यवस्था हो सके । स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन हेतु सरकार को पर्याप्त कदम उठाने होंगे ।
राजनांदगांव जिले में उपचारित रोगियों की संख्या - 2010
निष्कर्षः-
प्राथमिक एवं द्वितीयक आंकड़ों पर आधारित इस शोध पत्र का सार यह है कि राजनांदगांव जिले में तीव्रगति से हो रही जनसंख्या वृद्धि, बढ़ती प्रदूषण संबंधी समस्याऐं, गिरता स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी तीनों पर प्रभावी सकारात्मक क्रियान्वयन की आवश्यकता है ।
सुझावः-
उत्तम स्वास्थ्य में शुद्ध पेयजल व्यवस्था, नालियों की सफाई, शौचालय की सुविधा, रोगियों का समुचित उपचार, धुंआमुक्त ईधन, मलिन बस्तिओं का निर्मलीकरण की सुविधा प्रदान करना अपरिहार्य होगा । पर्यावरणीय शिक्षा को जिले में प्रभावी बनाने हेतु सरकारी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर कार्यशाला एवं सेमीनार आयोजित किये जाने चाहिए ।
आवश्यकता है पर्याप्त रोजगार,शिक्षा साक्षरता, लैंगिक समानता, सामाजिक समरसता, पर्यावरणीय अनुकूलता एवं उत्तम स्वास्थ्य सुविधा आदि वांछनीयताओं की जिससे जिले को खुशहाल बनाया जा सके ।
संदर्भः-
1. जिला संाख्यिकी पुस्तिका - 2010 व 2011
2. सामाजिक भूगोल - एस.डी. मौर्य
3. भारत की जनगणना - 2011
4. व्यक्तिगत सर्वेक्षण
5. पर्यावरण भूगोल - हरीश कुमार खत्री
Received on 01.12.2014 Modified on 05.12.2014
Accepted on 12.12.2014 © A&V Publication all right reserved
Int. J. Rev. & Res. Social Sci. 2(4): Oct. - Dec. 2014; Page 215-219